दास्तान-ए-इश्क़ | Collection of Love Shayari | Best Love Poem for Purposing GirlFriend
आज की ये Poetry एक Love Poetry है या ये कहो की Love Poem है। इस Poem मैं प्रेमी अपनी प्रेमिका के बारे मे बताता है ,उसकी तारीफ करता है। जिसमे वो अपने प्रेमिका के बारे मे अपने प्यार को उसकी तारीफ के रुप मे बताता है। गर आपको हमारी आज की ये Love Poem पसंद आये तो Please अपने valueable comments जरुर करे ताकि हमको ऐसे Articles और लिखने की प्रेरणा मिले। और इस Love Poem को अपनी Girlfriend के साथ share जरुर करे। मैं आशा करता हूँ कि ये Love Poem आपकी Gf को भी बहुत पसंद आये और आपकी Love Life को next level पर ले जाये
तो ज्यादा वक़्त जाया ना करते हुए मैं सीधे अपनी आज की इस Love Poem पर आता हूँ, और आज की हमारी इस Love Poetry का नाम है
दास्तान-ए-इश्क़
टूटे हुए दिल की दास्तान तो हमेशा लेकर आता है।
पर एक बात है जो कभी कह नहीं पता है,
आज ये शायर उसकी तारीफ करना चाहता है.....
क्या तुमने देखा है उसे....
क्या तुमने जाना है उसे
देखा नही है तो सुन लो,
अपने दिल ओर दिमाग में बन लो।
अब जो बात मैं कहने जा रहा हूँ,
वो सत-प्रतिसत सच्ची है।
तुम्हारी वाली का नहीं पता मुझे,
लेकिन मेरी वाली बहुत अच्छी है
हाँ, हिसाब मे थोड़ी कच्ची है,
हरकतों में नादान बच्ची है
अपने घर की लाज है वो,
सिंगार का सोलहवाँ साज है वो,
मेरे फकीरे पे चमकता हुआ ताज है वो,
मेरे बीते हुए कल का
निखरता हुआ आज है वो
वो आफताब मे भड़कती आग है,
वो महताब मे खिलती बाग है,
पंछियो की चहक है,
फुलों मे लिपटी महक है वो,
जाम मे खुलती बहक है वो
वो शराब है,
वो ख़राब है,
वो नवाब है,
वो जवानी बेहिजाब है
और बगावत करने वाले आशिको
ज़रा गौर से देखो,
वो अपने आप मे इंकलाब है
तितलिओं का रंगीन रिवाज है वो,
हवाओ संग उड़ती आवाज़ है वो,
उसअलमारी पर जो Shayari की किताब रखी है ना,
उसकी हर Shayari का नशीला अल्फ़ाज़ है वो
अगर उलझी है तो परेशान है,
अगर सुलझी है तो आसमान है वो,
अगर बिखरी है तो नादान है,
और बेफिकरी तो उसकी पहचान है
बेरुखी और हिकारत उसपर तो गहनों की तरह चढ़ते है
ये जख्म के छाले कभी-कभी दिल पर पड़ते है
शायद यही वो अदा है जो वो हम सबसे बहुत ज्यादा जुदा है
इसी बात पर तो ये शायर फ़िदा है
वो मेरी है..... वो मेरी है,
वैसे वो मेरी है नहीं
मगर फिर भी मेरी है
मेरी मोहबत्त है, मेरी इज़्ज़त है
मेरी इबादत है, मेरी शिद्दत है
मेरी हिमाकत है, मेरी ही अदालत है
मेरी बिखरते हुए सजदो का सहारा है वो,
इस बुझते हुए दिए का गुज़ारा है वो
और खुदा कसम.....
इस पूरी कहानी का हूँ-ब-हूँ नज़ारा है वो,
मेरी जान से भी ज्यादा मुझे प्यारा है वो
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